क्यों आता है बार-बार भूकम्प..?
भूकंप आने का मुख्य कारण धरती के भीतर की बनावट का उथल-पुथल होना है | ये भूकंप के झटके विश्वभर में एक साल के अंदर करीब-करीब 20 हजार बार से भी अधिक संख्या में आते रहते हैं, लेकिन ज्यादातर झटके हल्के होने के कारण उनका पता नही लग पता है | इनमें कुछ इतने हल्के होते हैं कि वो सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नही हो पाते | वहीं, कुछ इतने विनाशकारी होते हैं कि भयंकर तबाही मचा कर रख देते हैं | प्रिय पाठकगण ऐसे में ये जानना बेहद जरुरी है कि आखिर भूकंप आते क्यों हैं | उपर से एकदम सरपट दिखने वाली पृथ्वी मुख्य रूप से चार परतों से बनी हुई है | इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट | क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है | जो कि 50 किलोमीटर तक की मोटी परत में बनी कई वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है |
पृथ्वी के अंदर मुख्यतया 7 प्लेट्स हैं, जिनकी ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी हुई है | जो लगातार घूमती रहती हैं। ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं रहतीं, ये लगातार हिलती-डुलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है | इनके टकराहट से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिसके वजह से उस जगह में हलचल उत्पन्न होती है | पृथ्वी के जिस हिस्से में ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है । बार-बार के टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं । जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं । नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और इसी तनावपूर्ण स्थिति के बाद भूकंप आता है । धरती की सतह के नीचे की वो जगह, जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैं या टूटती हैं, भूकंप का केंद्र या फोकस कहलाता है | इसे Hypo center भी कहते हैं |
ऊपर से सामान्य और शांत दिखने वाली पृथ्वी की सतह के नीचे या दुसरे शब्दों में ये कहें कि धरती के अंदर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है | धरती के अंदर मौजूद वो सभी प्लेटें लगातार आपस में टकराती या दूर खिसक रही होती हैं ये क्रिया अनवरत चलती रहती हैं | इसी के चलते हर साल छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं | भूकंप को समझने से पहले हमें धरती के नीचे की प्लेटों की संरचना को समझना पड़ेगा | भू-विज्ञान की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि धरती में कुल 12 टैक्टोनिक प्लेटें होती हैं | इन प्लेटों के आपस में टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे ही भूकंप कहा जाता है | ये प्लेटें बहुत धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं | ये प्लेटें हर साल अपनी जगह से 4 से 5 मिमी तक खिसक जाती हैं | उसी प्रक्रिया के दौरान कोई प्लेट किसी से दूर हो जाती है तो कोई किसी के नीचे से खिसक जाती है | उसी अवस्था के दौरान प्लेटों के टकराने से भूकंप आता है |
धरती के नीचे चट्टानें हमेशा दबाव की स्थिति में रहती हैं | जब यह दबाव एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है तो चट्टानें अचानक से टूटने लगती हैं | इस बदलाव के कारण वर्षों से मौजूद ऊर्जा मुक्त हो जाती है | इस ऊर्जा से चट्टानों की सतहें कमजोर होकर टूट जाती हैं|
ये भी जाने कितनी तबाही लाता है भूकंप ?
रिक्टर स्केल और उससे होने वाले असर
0 से 1.9 | सिर्फ सिस्मोग्राफ से ही पता चलता है। |
2 से 2.9 | हल्का सा कंपन |
3 से 3.9 | कोई भारी मालवाहक जैसे ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा महशुस होता है |
4 से 4.9 | काँच की खिड़कियां टूट सकती हैं और दीवारों पर टंगी तस्वीरों वाली फ्रेम गिर सकती हैं । |
5 से 5.9 | कमरे में स्थिर पड़ा फर्नीचर हिल सकता है । |
6 से 6.9 | इमारतों की नींव दरक सकती है । ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुच सकता है । दीवालों में दरार पड़ सकती है |
7 से 7.9 | इमारतें गिर जाती हैं । जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं। |
8 से 8.9 | इमारतों के साथ-साथ बड़े पुल भी गिर जाते हैं । सुनामी का खतरा बढ़ जाता है |
9 और उससे ज्यादा | प्रलयकारी, महाविनाशकारी चारो तरफ पूरी तबाही, कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती नदी के पानी जैसे लहराते हुए दिखेगी । समंदर नजदीक हो तो सुनामी आ सकता है और सबकुछ जलमग्न हो सकता | |