हमारे सनातन धर्म में मान्यता है कि ध्वनि और शुद्ध प्रकाश के संयोग से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है | आत्मा इस जगत का हीं कारण है | सनातन धर्म संस्कृति में कुछ ध्वनियों को पवित्र और रहस्यमयी माना गया है, जैसे- मन्दिर में बजने वाली घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, पुंगी या बीन, ढोल, नगाड़ा, मृदंग, चिमटा, तुनतुना, घाटम, दोतार, तबला और डमरू |     

       इसी में से एक है डमरू या डुगडुगी..! यह एक छोटा संगीत वाद्य यंत्र होता है | डमरू को हिन्दू, तिब्बती और बौद्ध धर्म में बहुत महत्व दिया गया है | हर जगह भगवान शंकर के हाथों में डमरू को दर्शाया गया है | अक्सरहाँ साधु और मदारियों के पास भी डमरू दिखता है |

     शंकु आकार के बने इस ढोल के बीच के हिस्से में एक रस्सी बंधी होती है जिसके पहले और दूसरे सिरे में पत्थर या कांसे का एक-एक टुकड़ा लगाया जाता है | जब डमरू को मध्य से पकड़ कर हिलाया जाता है तो यह टुकड़ा पहले एक मुख की खाल पर प्रहार करता है और फिर उलट कर दूसरे मुख पर, जिससे ‘डुग-डुग’ की आवाज उत्पन्न होती है, इसीलिए इसे डुगडुगी भी कहते हैं |                           

     डमरू से 14 प्रकार की आवाजें : – जब डमरू बजता है तो उसमें से 14 प्रकार की अलग-अलग ध्वनि निकलती हैं | पुराणों में इसे मंत्र माना गया है | यह ध्वनि इस प्रकार है:- ‘अइउण्‌, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्‌, ञमड.णनम्‌, भ्रझभञ, घढधश्‌, जबगडदश्‌, खफछठथ, चटतव, कपय्‌, शषसर, हल्‌ | सभी आवाजों में सृजन और विध्वंस दोनों के ही स्वर छिपे हुए हैं | यही स्वर व्याकरण की रचना के सूत्र धार भी है | सद्ग्रन्थों की रचना भी इन्ही सूत्रों के आधार पर की गयी है |

                           

डमरू बजने से क्या लाभ: –  पुराण के अनुसार भगवान शिव नटराज के डमरू से कुछ अचूक और चमत्कारी मंत्र निकले थे | कहा जाता है कि यह मंत्र कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं | कोई भी कठिन कार्य हो शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है | उक्त मंत्र या सूत्रों के सिद्ध होने के बाद जपने से सर्प, बिच्छू के काटे का जहर तक उतर जाता है | ऊपरी बाधा हट जाती है | माना जाता है कि इससे ज्वर, सन्निपात आदि को भी उतारा जा सकता है |

  रहस्य- डमरू की ध्वनि जैसी ही ध्वनि हमारे अन्दर भी बजती रहती है, जिसे अ, उ और म या ओम् कहते हैं | हृदय की धड़कन व ब्रह्माण्ड की आवाज में भी डमरू के स्वर मिश्रित हैं |

डमरू की आवाज लय में सुनते रहने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और हर तरह का तनाव हट जाता है | इसकी आवाज से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास हो जाता है |

ये डमरू भगवान शिव का वाद्ययंत्र ही नहीं यह बहुत कुछ है | इसका प्रमाण वेदों में मिलता है कि इसे बजाकर भूकम्प लाया जा सकता है व बादलों में भरा पानी भी बरसाया जा सकता है | डमरू की आवाज यदि लगातर एक जैसी बजती रहे तो इससे चारों ओर का वातावरण बदल जाता है |

यह बहुत भयानक भी हो सकता है और सुखदायी भी | डमरू के भयानक आवाज से लोगों के हृदय भी फट सकते हैं | भगवान शंकर इसे बजाकर प्रलय भी ला सकते हैं | यह बहुत ही प्रलयंकारी आवाज सिद्ध हो सकती है | डमरू की आवाज में अनेक गुप्त रहस्य छिपे हुए हैं | भगवान शंकर की पूजा-अर्चना में डमरु की ध्वनि का विशेष हीं महत्व हैं |                  

हमारे धार्मिक ग्रंथों में इसका प्रमाण मिलता है कि जब संगीत की देवी सरस्वती अवतरित हुई थीं तो उनकी वाणी से निकलने वाली ध्वनि सुर और संगीत रहित थी | उस समय भगवान शिव ने 14 बार डमरू बजाया और अपने तांडव नृत्य से संगीत की उत्पति की थी | इसी के बाद से भोलेनाथ को संगीत का प्रवर्तक भी कहा जाता है | डमरू की ध्वनि घर में नकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश नहीं करने देती | इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बराबर होते रहता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है |डमरू से निकली चमत्कारी ध्वनि व्यक्ति को मजबूती प्रदान करती है और बीमारियों से लड़ने की शक्ति देती है | 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बच्चों के कमरे में डमरू रखने से बच्चों के उपर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, और उनकी प्रगति में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती | 

डमरू की ध्वनि बहुत हीं शक्तिशाली होती है | इसके ध्वनि को सुनने से तनाव कम होता है और मन शांत रहता है |

*******हर हर महादेव******