सृष्टि रचना
बड़ी फुरसत से खुदा ने सुन्दर सा इंसान बनाया,
कई तत्व कई जीवों से सृष्टि में प्रधान बनाया|
रह न जाए वह अकेला कई रिश्तों से उसे सजाया,
कई रूप कई रंगों से उसका अलग पहचान बनाया |
करे कर्म वो इस जग में अरमानों का गुल खिलाया,
बना फुल उसे इस जग का धरती को गुलदान बनाया |
करे सम्मान वो एक दूजे का नैतिकता का पाठ पढाया,
बना शरीर पञ्च तत्वों का ज्ञान दीप उसमें जलाया |
भूल न जाए वो अपनों को त्योहारों पर उन्हें मिलाया,
नर-नारी का अद्भुत जोड़ा भी लीला अपरम्पार बनाया |
हुआ क्षुब्ध कर्मों को देख क्या सोंचा और क्या पाया,
मानव को गुरु बना उसने प्रकृति को यहाँ बैठाया |
कभी प्रलोभन कभी दण्ड से प्रकृति ने जीना सिखाया,
जीवन रंगमंच बना मानव को बेहतरीन किरदार बनाया |
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