मकर संक्रांति सभी सनातनी का एक विशेष पर्व है | इस वर्ष मकर संक्रांति का ये पावन त्यौहार 15 जनवरी 2023 को पुरे देश में मनाया जा रहा है | हिन्दू धर्म शास्त्रों में इस पवित्र त्यौहार, मकर संक्रांति के दिन को अति शुभ माना गया है | ज्योतिष में ‘संक्रांति’ का अर्थ सूर्य या फिर किसी ग्रह के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना बताया गया है | मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर गमन करते हुए धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं |
देश के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है | बिहार, उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी नाम से जाना जाता है वहीँ गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण, पंजाब और हरियाणा में माघी, उत्तराखंड में उत्तरायणी, कर्नाटक में इसे संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल जैसे नामों से प्रसिद्ध है | यह त्यौहार बहुत नियम से मनाया जाता है |
मकर संक्रांति के दिन स्नान एवं दान का महत्व विशेष है। इस दिन सूर्य निकलने से पहले जागकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान इत्यादि करके साथ-सुथरे व धुए हुए वस्त्र धारण करें | अगर आप गंगा स्नान करते है तो ये आपका सौभाग्य है । लेकिन किसी कारण से गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हो तो गंगा की सहायक नदियों में भी स्नान कर शौभाग्य की प्राप्ति करते हैं अगर वह भी सम्भव न हो पाए तो घर के हीं सामान्य जल में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें और फिर स्नान कर लें |
स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, थोड़ा तिल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का पुष्प डालकर अर्घ्य दें । इसके साथ भगवान को भोग लगाएं । पूजा पाठ करने के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें।
मकर संक्रांति के दिन इन चीजों का करें दान :-
मकर संक्रांति के दिन जैसे शुभ मुहूर्त पर अन्न जैसे चावल, उड़द की दाल, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल से बने पदार्थ, तिलकुट आदि का दान करें। ऐसा करने से सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं एवं आपके पूर्व अर्जित पापों को नाश कर आपके यश की वृद्धि करते हैं |
इन दिनों कुछ राज्यों में पतंग उड़ा कर भगवान सूर्य से अपनी ख्याति को आगे बढाने की आशीर्वाद लेते हैं | आज के दिन तिलकुट के साथ दही-चुडा का भोजन करते हैं | विगत एक माह चलने वाला खरमास अर्थात दुष्ट मास की समाप्ति इस दिन से हो जाती है | ठण्ड से ठिठुरता मौसम सुहावना होने लगता है लोग अपने-अपने काम को गति देना प्रारम्भ कर देते हैं | एक महीने से ठप्प पड़ा वैवाहिक कार्यक्रम, गृह प्रवेश, कर्ण क्षेदन, द्विरागमन, भवन निर्माण, वास्तु जैसे हर प्रकार के शुभ कार्यक्रमों का शाश्त्रगत विधि से शुभारम्भ हो जाता है |
यह परम्परा सदियों प्राचीन है | हमसभी पूर्व परिचित हैं कि हमारा देश कृषि प्रधान,धर्म प्रधान है जिसमे इस त्यौहार का कृषि से जुडाव खास है | किसानों का घर नया अन्न धान, मकई जैसे तमाम खरीफ अनाज से भरा रहता है | किसान खुश होकर नाचते गाते तीर्थाटन का आनदं लेते हैं और उनके बच्चे पतंग उड़ा कर खुशियाँ मनाते व बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं|
साभार : डॉ० वशिष्ठ तिवारी (आयुर्वेद रत्न), प्रयाग
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