सनातन धर्म के अनुसार संकटनाशक गणेश चौथ का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है | इस वर्ष 2023 में यह पवित्र व्रत आज के दिन 10 जनवरी मंगलवार को मनाई जा रही है | अलग-अलग प्रदेशों में इसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है | कहीं संकष्टी चतुर्थी तो कहीं तिलकुट चौथ, कहीं माघी चौथ तो कहीं तिल चौथ के नाम से यह व्रत प्रचलित है |
इस बार संकट चौथ पर बन रहे हैं कई शुभ संयोग…
इस बार के संकट चौथ व्रत पर कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं | आज के दिन सर्वार्थ सिध्धि योग, आयुष्यमान योग, प्रीति योग भी बन रहें हैं | सर्वार्थ सिध्धि योग प्रात: 07 बज के 15 मिनट से सुबह 09 बज कर 01 मिनट तक है | आयुष्मान योग 11 बजकर 20 मिनट से पुरे दिन बना रहेगा वहीँ प्रीति योग सूर्योदय काल से हीं शुरू होकर सुबह के 11 बजकर 20 मिनट तक रहेगा |
इस वर्ष के संकट चौथ पर भद्रा का भी असर..
इस वर्ष चौथ व्रत पर भद्रा का भी असर है | भद्रा सुबह 07 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा | शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में किसी भी तरह के शुभ कार्यों को प्रारम्भ करने से मना किया गया है |
चन्द्रोदय का समय..
संकटनाशक व्रत चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद हीं पुरा हुआ माना जाता है | आज के रात्रि में चन्द्रदेव की पूजा की विशेष महत्ता है | आज के दिन चन्द्रमा का उदय रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा | इसके बाद हीं पारण किया जायेगा |
गणेश चतुर्थी व्रत कथा…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेशजी का जन्म हुआ | गणेश चतुर्थी की कई पौराणिक कथाओं में से एक कथा के अनुसार, एक बार माँ पार्वती स्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसे नाम दिया – गणेश । पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी महल के अंदर न आने दे | ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गईं |
कुछ हीं देर बाद जब भगवान शिव वहां आए , तो वह बालक ने उन्हें अंदर आने से रोका और बोले अन्दर मेरी मां नहा रही है, आप अन्दर नहीं जा सकते ये उनका आदेश है। शिवजी ने गणेशजी को समझाया, कि पार्वती मेरी अर्धांगिनी है। पर उस बालक को इनके (शिवजी) बारे में चुकि उनकी माँ नहीं बताई थीं इसीलिए वो नहीं पहचान सके | शिव जी बार-बार समझाये पर वह बालक नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उस बालक की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गये।
अचानक जब पार्वतीजी ने शिवजी को अन्दर आते देखा तो बोली कि आप अन्दर कैसे आ गए। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आदेशित कर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब माँ पार्वती जी रौद्र रूप धारण कर लीं और कहीं कि जब आप मेरे पुत्र को वापस जीवित करेंगे तब ही मैं यहां से चलूंगी अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी।
सभी देवता एकत्रित हो गए सभी ने माँ पार्वतीजी को बहुत मनाया पर वे नहीं मानी। तब शिवजी ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर मंगाया जाय जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाए।
गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह सिर उस बालक के धड से लगाया और गणेश जी को जीव दान दिया | साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम होगी ।
इसलिए हम कोई भी कार्य करते है तो उसमें हमें सबसे पहले गणेशजी की पूजा करते है अगर नहीं करते तो करना चाहिए अन्यथा पूजा सफल नहीं होती।
****जय श्री गणेश जी महाराज****
साभार : डॉ० वशिष्ठ तिवारी (आयुर्वेद रत्न) प्रयाग
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Thank U soo much..
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