हमारे सनातन धर्म में दिशा शूल एक ऐसा अशुभ योग माना जाता है जो संबंधित दिशा में यात्रा करने पर विघ्न-बाधाएं आने या काम के बिगड़ने या काम के न होने के बारे में आशंका बताता है। जिस दिशा में आप यात्रा के लिए जा रहे होते हैं और उस दिशा में उस दिन शूल हो तो आपका काम बिगड़ने या काम में किसी भी तरह की विघ्न, बाधा आने की पूरी-पूरी संभावना होती है | इसलिए ज्‍योतिष के अनुसार इस बात की सुझाव दी जाती है कि घर से यात्रा के लिए निकलने से पूर्व दिशा शूल जरुर देख लेना चाहिए । इसके साथ ही किताबों में यह भी बताया गया है कि यात्रा से लौटकर घर वापस आने के लिए दिशा शूल देखने की जरूरत नहीं होती है। जब आप यात्रा पूरी कर घर लौट रहे होते हैं तो दिशा शुल का भेद नहीं लगता |

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ये भी जानना बेहद जरुरी है कि यदि एक दिन के भीतर ही किसी स्थान पर पहुँचना और फिर उसी दिन को वापस लौट आना हो तो उस दिन दिशाशुल का विचार नहीं किया जाता है | कई बार न चाहते हुए मजबूरन उस दिशा में यात्रा करनी पड़ती है जिस दिशा में दिशाशूल होता है। उस परिस्थिति में इस दोष को दूर करने के लिए ज्योतिषशास्त्र में कुछ सामान्य सा उपाय बताया गया है। जिसे अपना कर आप अपनी यात्रा सु:खद और सफल बना सकते हैं |

किस दिन कौन-सी दिशा में यात्रा नहीं करें..?

ज्योतिषशास्त्र में वर्णित मतों के अनुसार सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा करने पर दिशाशूल लगता है। इसलिए सोमवार एवं शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। ठीक वैसे हीं रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा करने से दिशाशूल लगता है, अत: रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए | मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा अनुकूल नहीं मानी गयी है तथा गुरूवार को दक्षिण दिशा की यात्रा अनिष्टकारी होती है। इसीलिए मंगल और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा एवं गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चहिये | अगर परिस्थिति वस उन दिशाओं में जाने की अनिवार्यता हो तो कुछ सामान्य सा उपाय कर एवं अपने आराध्य का ध्यान कर यात्रा करनी चाहिए |

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किस दिन कौन-सी दिशा में यात्रा शुभ फलदायी होती है..?

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार रविवार को पूर्व दिशा में की गयी यात्रा सफल सुखद एवं उत्तम मानी गयी है । सोमवार को दक्षिण दिशा में यात्रा करना उत्तम माना गया है | मंगलवार को पुरब एवं दक्षिण दोनों दिशाओं में यात्रा करना शुभ बताया गया है | बुधवार के दिन पुरब एवं पश्चिम दिशा की यात्रा सुखद मानी गयी है | गुरुवार को दक्षिण दिशा को छोड़ अन्य सभी दिशाओं की यात्रा सफल एवं सुखद मानी गयी है | शुक्रवार के दिन शाम में प्रारम्भ की गयी यात्रा विशेष शुभ फलदायी होती है | शनिवार को अपने घर की यात्रा को छोड़ अन्य किसी भी दिशा की यात्रा श्रेयष्कर नहीं होती है |        

दिशाशूल के दोष को दूर करने के लिए ये उपाय करें :

अगर दिशाशुल वाले दिन भी यात्रा के लिए निकलना पड़ रहा हो तो उस स्थिति में कुछ परिहार हैं जिन्हें अपना कर यात्रा सु:खद बनाया जा सकता है | इसे अपने स्थानीय भाषा में समझने के लिए एक दोहा में सजाया गया है- “रवि के पान सोमे दर्पण, मंगल के गुड, बुधे धनिया, वृहस्पति के राई (जीरा) शुक्र कहे मोहे दही सोहाई, शनि के जे अदरख खाई सब रण जीत आई” रविवार को पान खाकर, सोमवार को दर्पण देखकर, मंगलवार को गुड खाकर, बुधवार को धनिया खाकर, गुरुवार को जीरा खाकर , शुक्रवार को दही और शनिवार को अदरख खाकर यात्रा प्रारम्भ किया जा सकता है |

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साभार : डॉ० वशिष्ठ तिवारी (आयुर्वेद रत्न) प्रयाग
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