गोस्वामी तुलसीदास विरचित रामचरितमानस भी क्या अद्भुत ग्रंथ है | सनातन धर्मावलंबियों का मानस का एक-एक प्रसंग भारत वासियों के रग-रग में रसने बसने वाला है | जैसे भारत में छ: ऋतुएँ ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर, और बसंत अपनी अलग-अलग छटा बिखेरती हैं, प्रत्येक मानव के जीवन में छ: अद्भुत अवस्थाएं आती हैं उसी तरह रामचरितमानस के सात काण्ड क्या ही विलक्षण है..?

एक से बढ़कर एक बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड सभी काण्ड का अपना एक अलग ही प्रकाश है | अलग ही प्रभाव है | सबों के नाम भी क्या खूब रखा है…बाबा तुलसीदास ने | एक से बढ़कर एक परंतु क्या हीं उन्होंने एक काण्ड का नाम रखा है-“सुंदरकाण्ड” क्या विचित्र विशेषण से विभूषित किया है इस काण्ड को |

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आइए जरा ध्यान दें कि क्या विशेषता है इस काण्ड की जिससे कि इस काण्ड का नाम उन्होंने रखा सुंदरकाण्ड | इस काण्ड की क्या सुंदरता हैं जरा गौर करें-

1. पवनपुत्र हनुमान का विषैले सर्पों की माता सुरसा से मुक्त हो फिर आशीर्वाद लेकर छाया को पकड़ने वाली राक्षसी का वध करना |

2. लंका राजमहल की रक्षा कर रहे लंकिनी पर प्रहार कर हनुमान का लंका में नि:शंक ही प्रवेश कर जाना |

3. राक्षसों की नगरी लंका में राम-भक्त विभीषण से वीर हनुमान का मिलन हो जाना |

4. त्रिजटा और श्री सीता जी के संवाद का हनुमान जी को श्रवण होना |

5. प्रथम दर्शन में सीता और वीर हनुमान का प्रेम वार्तालाप होना |

6. रावणपालीत लंकापुरी में वीर हनुमान का पहुंचकर सीता को चिंता मग्न देख चिंता मुक्त होने का आश्वासन |

7. विदेह नंदनी को हनुमान का अपनी पहचान देकर राम का संदेश सुनाना |

8. पांच सेनापतियों और सात मंत्री कुमारों का वध कर वीर अक्षय कुमार का भी कचूमर निकाल देना |

9. ब्रह्मा जी के ब्रह्म पास में बंध कर फिर उस से मुक्त हो जाना |

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  • 10.  मिथिलेश कुमारी सीता जी के स्थान के अतिरिक्त संपूर्ण लंका को जलाकर महाकपि हनुमान  
  •        जी का राम को संदेश सुनाने हेतु लंका से सुरक्षित लौट आना |
  • 11.  इसके अनंतर सुग्रीव के साथ भगवान राम का महासागर के तट पर जाकर सूर्य के समान    
  •      तेजस्वी बाणों से समुद्र को क्षुब्ध कर देना |

11.  नदी पति समुद्र का प्रकट होना तथा लंका मार्ग प्रशस्त हेतु पुल निर्माण की राय देना |

12.   रामा दल में ही नल और नील दो वानरों का पता बताकर पुल निर्माण कराना | उसी पुल
       से समुद्र उस पार जाकर रावण से युद्ध करना |
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जिस कांड में इतनी सुंदर-सुंदर बातें हो घटनाएं घटित हो तो उस काण्ड का नाम क्यों न सुंदरकाण्ड हो |

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साभार : डॉ० वशिष्ठ तिवारी (आयुर्वेद रत्न) प्रयाग
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